Thursday, October 24, 2013

कहानी मन्ना डे के हार की !!!

आज आपको बताते हैं इंडियन सिनेमा के सुरों के बादशाह मन्ना डे हार का एक किस्सा.
कैसे मन्ना डे हारे थे वो भी अपने ज्युनिअर से और कैसे उन्होंने हार को बरदाश्त किया था.
असल जिंदगी में गायकी में भले ही मन्नादा को कोई हरा नही सकता था लेकिन फिल्मी परदे पर उन्हें हारना पडा था.
क्लासिकल संगीत हो या फिल्मी धुनें हर तरह के गीतों को अपनी आवाज़ और सुरों से मन्ना दा अमर करतें थे.
लेकिन आज मैं आपके साथ शेअर करतीं हुं मन्ना डे के हार का एक अनुठा किस्सा जो हार उन्हें दी थी कि  उनसे ज्युनिअर गायक किशोर कुमार नें.
दरअसल ये पुरा वाकिया जुडा हैं फिल्म पडोसन से और पडोसन के निर्माता महमुद से.

फिल्म पडोसन के एक गाने  एक चतुर नार कर के सिंगार के लिए मन्ना दा महमुद को प्लेबैक दे रहेंथे.
गाना बेहद बढ़िया था. मन्नादा की आवाज कमाल की पंचम दा का संगीत गजब का और उस पर महमुद की धमाल की अदाकारी थी.लेकिन ये एक जुगल बंदी थी जिसमें महमुद  औऱ सुनिल दत्त की सुरों टक्कर थी और अंत में सुनिल दत्त के हाथों महमुद को मात खानी थी.
अब मन्ना दा सिचुएशन को तो समझ गए लेकिन इस बात पर अड गए कि वो इसमें हारेंगें नहीं.
क्योंकि उन्हें किशोर कुमार के हाथों हार जाना गंवारा नहीं था.
मन्ना दा को अपनी गायकी पर पुरा भरोसा था लिहाजा उन्हें किशोर कुमार जैसे नये सिंगर के हाथो शिकस्त खाना बिलकुल पसंद नहीं था.

उनका कहना था कि किशोर तो क्लासिकल संगीत भी नही सीखा है ऐसे में उनके साथ बराबरी भी नही की सकती तो ऐसे में भला उनसे मात खाने का तो सवाल ही नही उठता.
खैर फिर किशोर दा और महमुद के लाख मिन्नतों के बाद मन्नादा ने अपना उसुल तोडा जिद छोडी और इस गाने के लिए तैयार हो गयें.
हालांकि वो इस गाने को लेकर दिल से बेहद दु:खी थे लेकिन हैरत की बात ये है कि ये गाना इतना पॉप्युलर हो गया कि इस गाने ने शोहरत के नये झंडे गाड दिये.
और हार कर भी मन्ना डे की जीत हूई...

No comments:

Post a Comment