Thursday, October 24, 2013

मन्ना डे के पांच बेहतरीन नगमें !!!

आज की सुबह हुई एक बेहद मनहुस खब़र से.
मन्ना डे नहीं रहें .
वैसे इस बात  के लिए मन की तैयारी पहलें से ही हो चुकी थी क्योंकि पिछले कई दिनों से मन्ना दा जिंदगी और मौत के बीच जंग जो लड रहें थें.
और आज आखिर कार जिंदगी हार गई.

जिंदगी ये लब्ज़ सुनकर ही हमारे और आपके जहन में एक ही गाना आता है "जिंदगी कैसी है पहली हाये कभी ये हंसाए कभी ये रुलाए" और याद आती है मन्ना डे की मखमली आवाज.
दिल का हाल सुने दिल वाला, फुल गेंदवा ना मारों, ऐ मेरें प्यारे वतन, कसमे वादे प्यार वफा बातें हैं बातों का क्या, ये और इस जैसे सैंकडो यादगार नगमें हमें मन्ना डे ने दियें हैं.
लेकिन आज मै ं आप को सुनाती हुं मन्ना डे के पांच ऐसे बेहतरीन नगमें जो बेहद कम दफे सुनाए जातें हैं.
ये यकीनन मेरे सबसे पसंदीदा गाने तो है लेकिन उम्मीद करती हुं कि मेरी पसंद आपको भी पसंद आएगी.
1. तुम बिन जीवन कैसा जीवन...
http://www.youtube.com/watch?v=O_jZ0xeVr04
फिल्म बावर्ची, बेहतरीन गाना और बेहतरीन आवाज़.इस गाने में मन्ना डे ने एक जगह कहा है "अपने आंसु अपना ही दामन" ये लाईन जरा गौर से सुनिए इतनी खुबसुरती और इतने जज्बातों से ये लाईन मन्ना डे ने गायी है कि आप जितने भी बार सुनते हो आपके आंखों में आंसु आ जातें हैं.

2.हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया हैं...
 फिल्म अविष्कार.मन्नादा का एक और जेम, इतनी गहरी शायरी और इतनी संजीदा आवाज लेकिन जज्बातों से भरी.कानु घोष का संगीत जो आपके दिल को सुकुन देता हैं और मन्नादा के बारें में क्या कहें एक एक लब्ज शहद की तरह आपके कानों से होकर दिल में घुल जाता है. 

3.फिर कहीं कोई फुल खिला ...
http://www.youtube.com/watch?v=RcWK3RYi3jU
फिल्म अनुभव. संगीतकार कानु घोष. मन्ना डे के इस गाने को सुनना वाकई रुहानी अनुभव ही हैं.

4.चुनरी संभाल गोरी उडी चली जाए रे...
http://www.youtube.com/watch?v=zur6JskNiRU
अब तक आपने मेरी पसंद के सारे स्लो सॉग्ज सुनें लेकिन अब सुनिए  मन्ना डे का ये फास्ट रिदमिक सॉंग जो मेरा पर्सनल फेवरेट हैं. राहुल देव बरमन का कमाल का कंपोजिशन और मन्ना दा की उडती आवाज़. एक पल के लिए आप सोचने लग जाओगे कि क्या ये वहीं आवाज है जो आप को अपने गीतों से रुलाती है और अब आपको नाचने के लिए मजुबर कर रहीं हैं.क्या गाना क्या ऑरकेस्ट्रा और क्या मन्ना दा.

5. ये इश्क इश्क है इश्क इश्क...
http://www.youtube.com/watch?v=wP-k7QlB1jQ&list=PLB33AB6F87A16982A
इस कव्वाली के बिना तो इंडियन फिल्म संगीत का इतिहास ही नहीं पुरा सकता. सुरों के बादशाह मोहोम्मद रफी के आवाज को टक्कर देती मन्नाडे की आवाज इस कव्वाली में गुंजती हैं. एक भारी भरकम आवाज के साथ मन्ना दा ने इस कव्वाली को सदाबहार कव्वाली बना दिया जो हर महफिल की शान बनी.

कौन कहता है कि मन्ना डे हमें छोडकर चलें गयें हैं वो तो आज भी अपने साथ हैं और आगें भी रहेंगें.
आपके कैसे लगे मेरे पसंदीदा मन्ना डे के नग़में , जरुर बताइएगा...

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