Tuesday, March 25, 2014

ठहरिए होश में आ लू तो चले जाईएगा...

काश हम कह यह पाते कि ठहरिए होश में आ लू तो,चले जाईएगा...
लेकिन जाने वाले तो नही रुके हमे होश मे आने से पहले ही वो चले गये...
जी हां हम बात आज उसी अदाकारा की कर रहें हैं जिसने दुनिया के रंगमच से बेहद खामोशी से एक्जिट ले ली...
गुजरे जमाने की अदाकारा नंदा जिन्हें फिल्मी दुनिया बेबी नंदा के नाम से पहचानती है...
आज की सुबह ही इस मनहुस खबर से हुई कि लीजंड एक्ट्रैस नंदा हमारे बीच नही रही.
आज सुबह नंदा जी ने दुनिया से रुखसती ले ली...


यह सुनकर तो पहले यकीन नही हुआ क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही नंदा जी की झलक हमने देखी थी.
और उनको देखकर लगा ही नही कि वो युं अचानक दुनिया छोड देगी.
उम्र होने के बाद नंदा जी कभी दुनिया के सामने नही आयी.
लेकिन इनका भी एक दौर था जब दुनिया इनकी कदमों में थी.
चलिए आज आपको बताते है नंदा जी से जुडे कई सुने अनसुने किस्से.
बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों में आयी बेबी नंदा जब हिरोइन के तौर पर काम करने से पहले कई फिल्मों में सपोर्टिंग रोल निभा चुकी थी.
इन्ही में से एक फिल्म थी नवकेतन बैनर की काला बाजार जिसमें नंदा बनी थी रोमांटिक हिरो देव आनंद की छोटी बहन.
अब शुरु से ही नंदा देव साहबं की बेहद बडी फैन थी और देव साहबं भी यह बात अच्छी तरह से जानते थे.
नंदा की ख्वाहिश थी कि वो देव साहबं के साथ एक बार तो फिल्मी परदे पर रोमांस करें.
जब नंदा ने देव आनंद को अपने दिल की यह बात बतायी तो देव साहबं ने नंदा से एक वादा किया कि वो कभी ना कभी नंदा के साथ परदे पर इश्क फरमाएंगे...
और देव बाबु ने ये वादा पुरा किया फिल्म हम दोनो में...
नवकेतन बैनर की फिल्म हम दोनो में नंदा को देव आनंद की हिरोईन बनने का मौका मिला.

लोगों ने साधना के साथ साथ नंदा को इस फिल्म में बेहद पसंद किया.
यहां तक देव आनंद औऱ नंदा की जोडी को बेहद सराहा गया.
नतीजन हम दोनो एक सपर हिट फिल्म साबित हुई.
देव आनंद इस बात से इतने खुश हो गये कि उन्होने अपनी अगली फिल्म तीन देवियां में भी नंदा को लीड रोल में हिरोईन के तौर पर साईन कर लिया.

मनोज कुमार के लिए तो नंदा हमेशा से एंजेल रही.
गुमनाम में मनोज कुमार नये कलाकार थे जबकि नंदा एक स्टार थी.
फिर भी मनोज कुमार के मुताबिक नंदा उस जमाने एक ऐसी हिरोईन थी जिसने कभी भी स्टारी टैट्रमस् नही दिखाए.

शायद यही वजह रही कि जब मनोज कुमार को अपनी फिल्म शोर के लिए एक छोटे से रोल के लिए हिरोईन नही मिल रही थी तब वो नंदा जी के पास गये और नंदा जी ने महज एक शरत के बदले इस रोल को रजामंदी दे दे दी.
नंदा जी के दिल को ये रोल इतना छु गया कि उन्होने मनोज साहब के सामने एक भी पैसा नही लेने की शरत रख दी.
और हुआ भी यही शोर के लिए एक छोटा लेकिन बेहतरीन रोल निभा चुकी नंदा ने मनोज कुमार से एक भी रुपया नही लिया.
ये बात मनोज कुमार के दिल को इतनी लग गई कि उस दिन से उन्होने नंदा जी तो एंजल कहना शुरु कर दिया.

नंदा जी और शशी कपुर का भी एक जमाना था.इस जोडी ने भी कई सुुपर हिट फिल्में दी.
वो नंदा ही थी जिसने फ्लॉप फिल्में दे चुके शशी कपुर को उनके बुरे दौर में यह कहा था कि एक दिन वो बेहद बडे और कामियाब स्टार बनेंगें.

जहां उस जमाने में हिरोइन्स जितनी खुबसुरती के लिए जानी जाती थी उतने ही मशहुर थे हिरोइन्स के नखरें भी लेकिन नंदा एक लौती ऐसी हिरोईन थी जो शोहरत के बुलंदी पर पहुंचने के बाद भी जमीन पर ही थी.
खैर नंदा जैसी अदाकारा के गुजर जाने से एक युग का अंत हो गया.
चलिए नंदा की याद में सुनते हैं मेरी पसंद के उनके कुछ नगमें....
1.https://www.youtube.com/watch?v=XTYuTpfwxRQ
2.https://www.youtube.com/watch?v=ygc-GD_khkY
3.https://www.youtube.com/watch?v=zxqEXVAozHs
4.https://www.youtube.com/watch?v=8P-tckjfm10
5.https://www.youtube.com/watch?v=7eXB7c3x-Lg
  

Saturday, March 15, 2014

VAISHALI'S BLOG: किस्सा रंग बरसे का !!!

VAISHALI'S BLOG: किस्सा रंग बरसे का !!!: होली के दिन जितना जरुरी रंग, पानी और भांग होती है उतना ही जरुरी होता है "रंग बरसे" ये गाना भी. होली का ऑलटाईम फेवरेट ये गाना होल...

किस्सा रंग बरसे का !!!

होली के दिन जितना जरुरी रंग, पानी और भांग होती है उतना ही जरुरी होता है "रंग बरसे" ये गाना भी.
होली का ऑलटाईम फेवरेट ये गाना होली के दिन हर कोई एक दफे तो जरुर गुनगुनाता है.
जैसे रंगो के बिना होली नही खेली जा सकती वैसे इस गीत के बिना भी होली पुरी नही हो सकती.
तो चलिए होली के मौसम मे आज आपको सुनाते हैं किस्सा "रंग बरसे का"...
वैसे सब जानते हैं कि फिल्म सिलसिला का "रंग बरसे"ये गीत अमिताभ बच्चन के पिता और मशहुर कवि हरिवंश राय बच्चन की रचना है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गीत की धुन किसने बनायी है ? 
तो ये धुन बनायी है खुद हरिवंश राय बच्चन ने ही.

दरअसल यश चोपडा की फिल्म  सिलसिला की कहानी अमिताभ बच्चन के दिल के काफी करीब थी. इसलिए अमिताभ इस फिल्म की मेकिंग में पुुरी तरह से दिलचस्पी ले रहे थे.फिल्म की कास्टिंग से लेकर म्युजिक तक अमिताभ हर चीज पर बारिकी से ध्यान दे रहें थे.
इसी बीच जब यश जी को इस फिल्म में एक होली का गाना डालने की सुझी तो अमिताभ को याद आयी अपने बाबुजी की एक पुरानी रचना रंग बरसे जो वो बचपन से हर होली पर सुनते आ रहे थे.
अब उन्होने अपने पिता से अनुमती लेकर ये कविता तो फिल्म में इस्तेमाल कर ली लेकिन जब इन शब्दों को लय में बांधने की बात आयी तो सिलसिला के म्युजिक डिरेक्टर शिव हरी को लगा कि जिस लहजे में ये रचना लिखी गयी है उसी लहजे में इसकी धुन भी बननी चाहिए और ये काम रचना का रचैता ही बखुबी कर सकता है.
फिर क्या अमिताभ बच्चन के पिता ने लोक संगीत के आधार पर ही इस गाने की धुन बनायी.और खुद अमिताभ ने पारंपारिक लहजे में इस गीत को गाकर होली जैसे पर्व को हमेशा के लिए रंगीन बना दिया.


Wednesday, March 12, 2014

आखिर क्यों जया बच्चन ने आधी रात को घर से निकाला अमिताभ को!!!

क्यों लग रहा है ना आपको कि मैं आज आपको जया और अमिताभ के बीच छिडी किसी जंग का किस्सा बताउंगी.
तो जी नहीं ऐसा बिलकुल नही हैं जया और अमिताभ बच्चन के बीच इतना प्यार है कि जंग की कोई जगह ही नही हैं.
लेकिन फिर भी कुछ ऐसा हुआ कि जिस वजह से जया बच्चन को आधी रात को अपने शौहर को घर से बाहर निकालना पडा.
चलिए बच्चनस् के प्यार का एक लाजवाब किस्सा आज आपके साथ शेउर करतीं हुं.

दरअसल ये बात है 80 के दशक की,जब एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन शोहरत के सातवे आसमान पर थे और उनकी पत्नी जया बच्चन फैमिली लाईफ इंजाय कर रही थी.
इसी दौरान महान फिल्मकार कमाल अामरोही ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी को लेकर बना रहें थें वॉर सागा 
"रज़िया सुल्तान".
अब एक दिन हुआ युं कि मिसेस बच्चन के कानों पर कहीं से फिल्म रज़िया सुल्तान के एक गाने की धुन पड गई.इस गीत के बोल थे "ये दिल-ए-नादान".
बसं इस गाने की जरा सी झलक ने जया जी को इतना दिवाना बना दिया कि वो बेसब्र होकर इस गाने के रिकार्ड ढुंडने लगी.
लेकिन अफसोस बेहद तलाश करने के बाद भी जया जी को रज़िया सुल्तान का रिकार्ड नही मिला.
जया बच्चन बेहद निराश हो गई और आखिर कार उन्होेंने अपने पति अमिताभ बच्चन को अपने उदासी का सबब बताया और उनसे जिद की कि अभी के अभी जाईए और कहीं से भी लेकर आईए ये गाना.
उस वक्त आधी रात बीत चुकी थी.
अब अपनी बीवी की इस फरमाईश को भला बच्चन साहब कैसे ना मानते. बहोत मशक्कत के बाद उन्हें पता चला कि ये गाना फिल्म रज़िया सुल्तान का है और इसकी धुन बनायी है खैय्याम साहबं ने.
बसं इतनी जानकारी मिलतें ही अमिताभ बच्चन ने अपनी कार निकाली जया को लिया और रात के करीब डेढ़ बजे पहुंच गये खैय्याम साहब के घर पर.
अब इतनी रात गये अमिताभ बच्चन और जया बच्चन को अपने चौकट पर देखकर खैय्याम साहब और उनकी पत्नी सन्न रह गये.
अब अमितभ जैसे सुपरस्टार को कह भी क्या सकतें है यहीं सोचकर खैय्याम साहब चुप हो गये.
फिर अमिताभ ने उनसे देर से आने की माफी मांगते हुए अपने बीवी की फरमाईश बतायी.
जिसपर खैय्याम साहबं इतने खुश हो गये कि उन्होंने रज़िया सुल्तान के इस गाने ये दिल-ए-नादान की रिकॉर्डिंग वर्जन ही जया जी को तोहफे में दे दी.
यहां तक के इन दोनो मियां बीवी ने इस गाने को वहीं पर कई बार सुना और खैय्याम साहब को इतना बेहतरीन गाना कंपोज करने के लिए बधाई देकर वहां से निकल गयें.
तो देखा आपने किस तरह से अमिताभ बच्चन ने पुुरी कि अपनी पत्नी जया बच्चन के दिल की आरजु.



Monday, March 10, 2014

किस्सा कभी कभी का !!!

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है,
कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए.....
ये ऑल टाईम क्लासिक सॉंग मेरी तरह आपका भी फेवरेट सॉंग होगा....
जब भी ये गाना सुनते है माहौल एक दम रुहानी हो जाता है.....
मौसम एकदम रोमांटिक हो जाता है...
शायद यही वजह है कि फिल्म मेकर यश चोपडा को साहिर लुधयान्वी की ये नज्म इस कदर पसंद आयी थी कि उन्होंने इस नज्म से इंस्पायर होकर एक फिल्म ही बनाने की सोची.
और इस तरह से जन्म हुआ फिल्म कभी कभी का...

चलिए आज आपको सुनाते है कभी कभी से जुडा दिलचस्प किस्सा.
 कभी कभी के लिए यश चोपडा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से म्युजिक कंपोज करवाना चाहते थें.क्योंकि
लक्ष्मी-प्यारे  यश चोपडा की सुपर हिट फिल्म दाग़ में सुपरहिट म्युजिक दे चुके थे.
लेकिन किन्ही वजहों से ऐसा हो नही पाया और कभी कभी मिल गई खैय्याम को.
अब कभी कभी के लिए म्युजिक कंपोज करते हुए खैय्याम साहबं ने अमिताभ बच्चन के लिए मुकेश से प्लैबैक कराने का सोचा.
दरअसल एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन की इमेज इस फिल्म में पुरी तरह से बदलने वाली थी.
एक्शन हिरो को रोमांटिक हिरो के तौर पर पेश किया जा रहा था लिहाजा अमिताभ को एक रोमांटिक वॉईस देने का सोचा गया और नतीजन रुहानी आवाज़ के मालिक मुकेश से कभी कभी के सभी गाने गंवाने का पक्का हो गया.
धुन बन गई, रिहर्सल हो गई लेकिन बदकिस्मती से रिकार्डिंग से ठीक एक दिन पहले मुकेश जी को दिल का दौरा पड गया और वो अस्पताल में भऱती हो गये.
मुकेश जी कि बीमारी के बाद यश चोपडा औऱ खैय्याम ने फिल्म के सभी गाने अमिताभ बच्चन से गंवाने का एक बेहद बडा क्रांतीकारी कदम उठाने का सोचा.
और वो एक दिन मुकेश साहब से मिलने अस्पताल पहुंच गये.
अब अस्पताल में मुकेश साहब डॉक्टर्स की निगरानी में बेड पर लेटकर आराम फरमा रहें थे,
और जैसे ही यशजी और खैय्याम साहब उनके रुम में आये वो उन्हें देखकर बेहद खुश हो गये.
इससे पहले की यशजी औऱ खैय्याम साहबं मुकेश जी से उनके तबीयत का हालचाल पुछते मुकेश जी ने खुद यश जी और खैय्याम साहबं से गुजारिश करना शुरु कर दिया कि भले ही कभी कभी के बाकी गाने किसी भी गायक से गवाएं लेकिन फिल्म का टाईटल ट्रैक उन्हीसे गवाएं.

मुकेश साहब ने इन दोनों से कहा कि मेरा इंतजार किजीए.
मुकेश जी की ये बात सुनकर दोनो के दोनो एकदम सन्न रह गये.
अपनी बीमारी से ज्यादा मुकेश जी को फिकर थी इस गाने की.
ये गाना इतना पसंद था मुकेश जी को कि अस्पताल में भी उन्हें कभी कभी का खयाल था.
खैर एक फनकार की इस ख्वाहिश को खैय्याम और यश चोपडा ने भी नजर अंदाज नही किया और मुकेश जी के स्वस्थ होने के बाद उन्हीं के आवाज़ में फिल्म के गानों की रिकार्डींग की.
खैर कभी कभी से जुडें हैं कई किस्से लेकिन उनका जिक्र करेंगें फिर कभी....