Tuesday, February 11, 2014

आखिर क्यों मां बनने से इंकार किया वैजयंती माला ने !!!

"मेरे पास मां है" फिल्म दिवार का ये फेमस डायलॉग आज भी फिल्म शौकिनों के जहन में ताजा है...
जितनी क्लासिक यह फिल्म है उतने ही क्लासिक है इस फिल्म के डॉयलॉग्ज भी...
मेरे पास मां है ये डॉयलाग आपने हजारों बार सुना होगा लेकिन क्या आप को पता है कि असली मां कौन थी...
चलिए हम आपको बतातें हैं इसका जवाब तो ये असली मां थी अपने जमाने की मशहुर अदाकारा वैजयंती माला...
जी हां फिल्म मेकर यश चोपडा वैजयंती माला को अपनी फिल्म दिवार में अमिताभ बच्च्न और शशी कपुर की स्क्रीन मां बनना चाहतें थे...
ये उस दौर की बात है जब वैजयंती माला करिअर के टॉप पर पहुंच कर फिल्मों से संन्यास ले चुकी थीं और यश चोपडा वैजयंती माला को दोबारा फिल्मों में लाना चाहतें थे...

दरअसल यश चोपडा अपने बडे भाई बी आर चोपडा की फिल्म नया दौर के वक्त से ही वैजयंती माला के फैन बनें थे...उनका सपना था कि वो जब भी फिल्में बनाएंगे वैजयंती माला के साथ जरुर काम करेंगें....
लिहाजा अपने इस सपने को पुरा करने के लिए यशजी ने अपने इस पसंदीदा आदकारा को दिवार में कास्ट करने का फैसला लिया...
लेकिन अफसोस यश जी का ये फैसला वैजयंती माला के फैसले को नही बदल पाया.
फिल्मों से ब्रेक लेने के बाद वैजयंती माला ने ये फैसला कर लिया था कि वो कभी भी फिल्मी परदे पर दोबारा वापसी नही करेंगी. उनका खयाल था कि उनके चाहनेंवालों  उन्हें हमेशा खुबसुरत हिरोइन के तौर पर ही याद करें....
लिहाजा इसी वजह से वैजयंती माला ने चाहकर भी यश चोपडा को हां नही कहा....
और फिर यह रोल ऑफर हुआ निरुपा रॉय को.

Monday, February 10, 2014

आखिर बेग़म अख़्तर को क्यों याद आए मदन मोहन !!!

वो मल्लिका-ए-ग़जल, तो वो हिंदी फिल्मों के गजलों के बादशाह...
दोनों का रास्ता अलग लेकिन मंजिल एक... गज़ल
और ग़जल की वजह से ही इन दोनों का हुआ आमना सामना...
आज किस्सा सुनातें हैं आपको हिंदुस्तान की मल्लिका-ए-ग़जल बेगम अख़्तर और मशहुर फनक़ार मदन मोहन की अजीबो गरीब मुलाकात...
बेग़म अख़्तर ये नाम बेहद बडा था....तमाम दुनिया को इनकी मखमली आवाज़ ने मदहोश कर दिया था.
गज़लों का तो दुसरा नाम बन गई थीं बेगम साहिबां...
लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्हें मजबुर होना पडा अपने उमर और रुतबें से कम युवा संगीतकार मदन मोहन से रुबरु होने के लिए...
उस जमाने में फिल्म संगीत को गैर फिल्मी कलाकार अच्छी निगाहों से नही देखा करतें थे. फिल्म संगीत को बेहद मामुली तपके का संगीत माना जाता था...
ऐसा कम ही होता था जब कोई क्लासिकल संगीत का जानकार फिल्म संगीत को नवाज़े...
अब एक दिन बेग़म अख़्तर ने रेडियों पर एक गाना सुना... 
"गाने के बोल थे कदर जाने ना मोरा बालम बेदर्दी"...
ये गाना था मदन साहबं की पहली हिट फिल्म भाई भाई का...
उडते उडते सुने इस गीत की तो बेग़म साहिबां कायल हो गई उन्होंने फौरन इस गीत के फनक़ार मदन मोहन को फोन लगाया.

अब इन सब बातो से बेखबर मदन साहबं ने फोन उठाया तो दुसरी तरफ मल्लिकाएं गजल बेग़म अख़्तर की आवाज सुनकर उनके होश ही उड गयें.
बेग़म साहिबां ने पुछा कि ये गाना आप ही नें कंपोज किया है तो जवाब में मदन साहबं ने हां कहां.
फिर बेग़म साहिबां ने बडी अदबी से मदन मोहन से गुजारिश की वो ये गाना उन्हें गाकर सुनाए...
इतने बडे कलाकार की इस छोटीसी फरमाईश को भला मदन साहबं कैसे  पुरा नही करतें.
बसं फिर क्या मदन साहब ने गाना शुरु कर दिया कदर जाने ना मोरा बालमं बेदर्दी...
एक नही, दो नही, तीन नही बल्कि पुरे 18 दफे मदन मोहन ने यह गाना गाया सुरों की मल्लिका के लिए...
तो देखा आपने एक कलाकार ने कैसे की एक कलाकार के कला की कदर....
सुनिए वही गाना कदर जाने ना....
https://www.youtube.com/watch?v=_fIK1Lj-h6k

Sunday, February 2, 2014

VAISHALI'S BLOG: कहानी गुलज़ार के पहले गीत की ...

VAISHALI'S BLOG: कहानी गुलज़ार के पहले गीत की ...: क्या आप जानते हैं कि मशहुर शायर गुलज़ार को अपना पहला गीत लिखने मौका कैसे मिला... आज आपको बतातें है कि कैसे गुलज़ार ने तय किया गैरेज से गीत...

Saturday, February 1, 2014

क्यों बनें अमिताभ गेटकिपर !!!

क्या आप जानतें है अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार कभी गेटकीपर रह चुकें हैं...
अरे अरे गलत मत समझिए...
ये तो बिग बी की  एक ऐसी आदत है जिसनें उन्हें गेटकीपर बना दिया ...
चलिए आज हम आप को बताते है मि. बच्चन का किस्सा...
ये उस वक्त की बात है जब अमिताभ बच्चन फिल्मी परदे पर राज कर रहें थे..
70 और 80 के उस दशक में अमिताभ अपनी अदाकारी लोहा पुरी दुनिया मनवा चुकें थे...
एक के बाद एक सुपर हिट फिल्मों की अमिताभ ने झडी लगा दी थी...
लेकिन शोहरत के बुंलदी पर पहुंचने के बाद भी एक आदत ऐसी थी जो उनसे छुटती ही नही थी...
और ये आदत थी वक्त के पाबंदी की...
अपनी पहली फिल्म से अमिताभ वक्त के बेहद पाबंद थे...


जहां फिल्म स्टार बनने के बाद आर्टिस्ट घंटो शुटिंग पर लेट पहुंचा करते थे वहीं अमिताभ थे जो गलती से कभी देर से नहीं पहुंचते...
ऐसा ही एक वाकिया हुआ फिल्मीस्तान स्टुडियो में..
जहां अमिताभ को पहुंचना मार्निग शेड्युल में...
बसं वक्त के पाबंद अमिताभ तय वक्त पर स्टुडियो पहुंच गये लेकिन वहां देखते है तो क्या स्टुडियो के गेटकिपर्स ही गायब...
यानी कि मि, बच्चन स्टुडियो खुलने से पहले ही वहां पहुंचे क्योंकि उन्होने शुटिंग के लिए वही वक्त दिया था...
और ऐसा एक बार नही मिं. बच्चन के साथ ऐसा कई बार होता था, कि स्टुडियो के गेट खुलने और गेटकीपर के पहुंचने से पहले ही अमिताभ वहां पहुंच जाते.
आज इतने बरसो बाद भी अमिताभ की यही आदत है कि वो हमेशा ऑन टाईम होते हैं...
बिग बी शोहरत देखकर ये कहावत सच साबित होती कि जो वक्त की कदर करता है वक्त भी उसीकी कदर करता है ...