Thursday, December 19, 2013

लता मंगेशकर ने क्यों ठुकराया अपना पहला एवार्ड ?

जिस जादुई आवाज़ ने अरसों से सारी दुनिया पर मोहिनी डाल रखी है ऐसी सुरों की मल्लिका गान सम्राग्नी लता मंगेशकर का एक अनसुना किस्सा आज आपको सुनातें हैं.
ये उस वक्त की बात है जब लता मंगेशकर ये नाम शोहरत की बुलंदि पर था.
और 50 के उस दशक में लता दिदी ही हर हिरोईन की आवाज बन चुकी थी...
इसी दौर में इंडियन सिनेमा ने करवट ली और शुरआत हुई फिल्म फेअर एवार्डस् की.
जिसमें फिल्म बैजु बावरा के गानों के लिए पहली बार लता दिदी की खुबसुरत आवाज को पुरस्कार घोषित हुआ,अब खुद दिदी ये ऐवार्ड पाकर बेहद खुश तो हुई लेकिन ये अवार्ड में लेने में वो कतराने लगी.
उन्होंने तो आयोजको से ये अवार्ड लेने से सीधे इंकार ही कर दिया.
क्या आप जानतें है अपना पहला एवार्ड लता जी किस वजह से ठुकरा चुकी थीं.
अरे भाई फिल्म फेअर की ट्रॉफी थी एक औरत की जिसके बदन पर कपडे नहीं थें.
अब उसुल पसंद दिदी को ये बेशर्मी बिलकुल गंवारा नही थी लिहाजा उन्होने ये न्युड ट्रॉफी लेने से सीधे इंकार कर दिया.
अब क्या करें आयोजक दिदी को मनाने की पुरी कोशिश करने लगे लेकिन दिदी नही मानी.
फिर आयोजकों ने एक युगत लगाई लता दिदी का नाम एवार्ड लेने के लिए अंनाउस हुआ और जब लता दिदी स्टेज पर आई  तब एक रुमाल में लपेट कर उन्हें उनके करिअर की पहली ट्रॉफी दी गई.
और इस तरह से नवाजी गई सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर..

Wednesday, December 18, 2013

राज कपुर : क्लैपर बॉय से ग्रैटेस्ट शो मैन

क्या आप जानतें हैं कि इंडियन सिनेमा के ग्रैटेस्ट फिल्म मेकर राज कपुर  कैमेरे के आगे और पीछे आने से पहले क्या करते थें.
राज कपुर एक क्लैपर बॉय थे.
दरअसल पढाई लिखाई में बेहद कमजोर होने के कारन अपने जमाने के मशहुर अदाकार पृथ्वी राज कपुर ने अपने  साहबजादे को तंग आकर अपने दोस्त फिल्म निर्देशक केदार शर्मा के पास नौकरी पर रखा.
अब केदार शर्मा ने भी नीली आंखो वाले इस नौजवान को क्लैपर बॉय की हैसियत से काम पर रखा.
लेकिन राज को थी एक आदत जिसकी वजह से वो क्लैपर बॉय से हिरो बन गयें.
क्लैपर बॉय बने राज अक्सर सेट पर अपने आपको आईने में निहारते रहतें.
राज की यह आदत सेट पर मौजुद सभी लोग जान गये थे.
हालांकि एक दिन इसी आदत ने उनके लिए मुश्किल खडी की.
केदार शर्मा को एक बेहद अहम सीन शुट करना था, सब कुछ तैयार था लाईट कैमरा हिरो लेकिन क्लैपर बॉय ही गायब था. सभी लोग ढुंड रहें थे कि आखिर क्लैपर बॉय कहां गया.अब क्लैपर बॉय मिला तो आईने के सामने अपने आप को निहारते हुए.

ये लापरवाही देखकर केदार शर्मा को बेहद गुस्सा आया फिर भी उन्होंने राज से कुछ नही कहा.
अब राज जब क्लैप देने लगे तो गलती से उनके क्लैप में आ गई हिरो की दाढी जो उन्होंने बेखयाली में जोर से खींच डाली.
फिर क्या हिरो का मेकअप बिगड गया और बिगड गये डिरेक्टर साहब के मिजाज, उन्होंने आव देखा ना ताव और सीधे जड दिया राज के मुंह पर एक तमाचा.
इतना ही नही डिरेक्टर केदार शर्मा इतनी भडक गये कि उन्होंने सारे युनिट के सामने चिल्लाकर ये कहा कि राज तुम्हें बडा अपने आप को निहारना  अच्छा लगता है ना तो बसं अब तुम्हें मै कैमेरे के सामने ही लेकर आउंगा.
और इस तरह से राज कपुर बन गये क्लैपर बॉय से हिरो और फिर इंडियन सिनेमा के "ग्रैटेस्ट शोमैन".   

Monday, December 16, 2013

कहानी गुलज़ार के पहले गीत की ...

क्या आप जानते हैं कि मशहुर शायर गुलज़ार को अपना पहला गीत लिखने मौका कैसे मिला...
आज आपको बतातें है कि कैसे गुलज़ार ने तय किया गैरेज से गीतकार बनने तक का सफर....
ये उस वक्त की बात हैं जब फिल्मकार बिमल रॉय बंदिनी का निर्माण कर रहें हैं और सुरों के बादशाह सचिन देव बरमन इस फिल्म के संगीत पर काम कर रहें थें.
इसी बीच फिल्म के गीतकार शैलेन्द्र और बरमन दा के बीच गीतों के बोलों को लेकर कुछ कहासुनी हुई और इस मामुली बहस ने झगडे की शक्ल ले ली. बात यहां तक पहुंची की सचिनदा और शैलेन्द्र ने एक साथ काम ना करने का फैसला ले लिया.
इन दोनों के झगडों में फंस गई बिमलदा की बंदिनी.
अब शैलेन्द्र साहब दिल के बेहद अच्छे इंसान थे एक लिट्रैचर ग्रुप के तहत वो गुलजार को जानते थे और वो ये भी जानते थे कि गैरेज में काम कर रहें गुलज़ार कलम के जादुगर हैं.
बसं फिर क्या था शैलेन्द्र ने गुलज़ार को बिमलदा से मिलने को कहा.
हालांकि फिल्मों से ज्यादा साहित्य में रुचि रखने वाले गुलजार बिमलदा से मिलने में बिलकुल दिलचस्प नहीं थे लेकिन वो शैलेन्द्र थे जिन्होंने जबरदस्तीसे उन्हें बिमलदा के पास भेजा और फिर उन्होंने अपना पहला गाना लिखा "मोरा गोरा अंग लईले"...
हालांकि गुलज़ार को बंदिनी के लिए महज एक गाना लिखने का  ही मौका मिला क्योंकि सजिनदा और शैलेन्द्र में सुलह हो गई और फिल्म के बाकी के गाने फिर शैलेन्द्र साहबं ने ही लिखें...
अब ये बात बिमलदा का कुछ खटकी तो उन्होंने गुलज़ार को बतौर गीतकार नहीं तो बतौर असिस्टंट अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया और इस तरह से गुलज़ार ने महान फिल्ममेकर बिमल रॉय से फिल्म मेकिंग के गुर सीखें.

Saturday, October 26, 2013

कहानी ऐश्वर्या के पहले फैन की !!!

ऐश्वर्या राय बच्चन दुनिया की सबसे खुबसुरत हसीना, बॉलीवुड की नंबर वन हिरोईन और अब एक स्टार मॉम.
ऐश्वर्या उन कम चंद स्टार्स में से हैं जिनके कदम कामियाबी ने हर बार चुमें हैं. हर दौर में ये शोहरत की बुलंदियों पर पहुंची है.
लाखों दिवानों ने इन्हें हर बार ही चाहा हैं और आज भी इनकी करोंडो की फैन फॉलोइंग हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि ऐश की तरह उनका पहला फैन भी एक स्पेशल पर्सन था.
वो भी उतना ही खुबसुरत है जितना की ऐश हैं.
जी हैं ऐश्वर्या की पहली फैन है खुबसूरती की देवी रेखा.
रेखा ही हैं वो जिनकी नजर सबसे पहले पडी ऐश्वर्या पर.

दरअसल ऐश्वर्या इतनी खुबसुरत थी कि अपने टीन एज से ही उन्होने मॉडेलिंग करना शुरु कर दिया था.
और ऐश की कुछ मामुल एडस् मैडम रे देख चुकीं थीं.
अब ऐश्वर्या इतनी कमाल की खुबसुरत थी की रेखा चाहकर भी ऐश का चेहरा भुला नहीं पाई थी.
एक दिन जब ऐश अपने मॉम के साथ शॉपिंग कर रहीं थी तब वहां रेखा भी मौजुद थी.
अब रेखा ने ऐश को देखा तो वो उन्हें झट से पहचान गई और इतनी बडी स्टार होने के बावजुद भी वो खुद ऐश के पास गई. उनसे बात की, उनकी खुबसुरती की तारीफ की और उनसे फिल्मोंमें किस्मत आजमाने को भी कहां.
खैर इसके बाद ऐश फिल्मों में आ गई और यहां छा गई.
आज भले ही ऐश्वर्या के दुनिया भर में करोडों चाहने वालें हो लेकिन वो आज भी रेखा को ही अपना सबसे पहला दिवाना मानती हैं

कहानी हम दोनो दो प्रेमी गाने की !!!

" हम दोनों दो प्रेमी दुनिया छोड चलें जीवन की हम सारी रस्मे तोड चलें "  ये सदाबहार रोमांटिक गाना आपने कई बार सुना होगा. हो सकता है ये गाना मेरी तरह आपका भी फेवरेट गाना हो लेकिन क्या आप इस गाने के बारें में एक दिलचस्प किस्सा जानतें हैं.
नहीं तो सुनिए मेरी जुबानी.
राजेश खन्ना जीनत अमान स्टार्रर ये रोमांटिक गाना है फिल्म अजनबी का.
जिसमें आवाजे दी हैं लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने और फिल्म का म्युजिक कंपोज किया है ग्रैट आर डी बरमन नें.

अब सुनिए एक इंटरेस्टिंग किस्सा.
सिचुएशन के हिसाब से पंचम दा ने म्युजिक कंपोज कर लिया. लता मंगेशकर और किशोर कुमार जैसे आर्टिस्ट की डेटस् बुक कर ली, स्टुडियो तक बुक कर लिया लेकिन ठीक उसी दिन सारे म्युजिशिअनस् स्ट्राईक पर चले गयें.
अब आर डी के सामने आ गई एक बडी मुश्किल गाना रेडी सिंगर रेडी है लेकिन म्युजिशिअन्स ही नहीं हैं.
अब साजिंदो के बिना गाना रिकॉर्ड करें तो कैसे.
अब अपने पंचम दा चैलेंज लेने में एक्सपर्ट थे उन्होंने फौरन गाने कंपोजिशन्स को कुछ इस तरह इम्प्रुवाईज किया कि उन्होंने गाने में इंटरल्युड्स की जगह नही रखी.
और इंटरल्युड्स नही तो साजिंदे भी नही.

लिहाजा कम से कम इन्स्टुमेंटस् के साथ आर डी ने नये सिरे ये गाना बनाया औऱ रिकॉर्ड भी किया.
और इस गाने ने इतिहास ही रच दिया.
अगर आप गौर से इस गाने को सुनोगे ते आपको पता चलेगा कि ये पुरा गाना एक ही धुन और एक ही बीट पर चल रहा है.
तो ऐसे थे अपने म्युजिकल जिनीयस पंचम दा जो म्युजिशिअन्स के बिना भी बेहतरीन म्युजिक दे सकतें थें.
    

Friday, October 25, 2013

कहानी कपुर खानदान और उनके प्रेम त्रिकोण परंपरा की

कपुर खानदान...इंडियन सिनेमा का मोस्ट प्रेस्टिजीयस परिवार...
पृथ्विराज कपुर से कपुर से लेकर रनबीर कपुर तक पुरी की पुरी चार पिढीयों से  ये खानदान राज कर रहा है सिनेमा के रुपहले परदे पर...
कपुर्स जिस तरह से फेमस है फिल्मो के लिए वैसे ही मशहुर है खाने और गाने के शौक के लिए भी...
लेकिन एक और बात कॉमेन है इन कपुर्रस में...
जिसका राज फाश आज हम करेंगें ...
और वो राज है लव ट्रांइग्लस् का ...
जी हां लव ट्रांईगल यानी कि  प्रेम त्रिकोण कपुर खानदान की एक खास पहचान है ...
राज कपुर से लेकर उनके पोते रनबीर कपुर तक हर कोई फंसा है इस लव ट्रांईगल में...
जैसे इन दिनों यंगस्टर्स हार्टथ्रोब रनबीर कपुर फंसे हैं अपनी दो दो माशुकाओं के बीच...
फिलहाल सबकी नजरें इसी बात पर टिकी है क्या वाकई रनबीर और कैटरीना कैफ एक दुसरे को डेट कर रहें हैं...
और अगर ऐसा है तो दिपीका पादुकोण का क्या होगा जो उनकी एक्सगर्लफ्रेंड रह चुकीं हैं और आज भी उनसे जुडी हैं
रनबीर दिपीका और कैटरीना के बीच फंस गयें हैं...
एक और दिपीका है जिनके साथ उनका लॉंग टर्म रिश्ता रहा है और एक ओर कैटरीना हैं जिनके साथ फिलहाल रनबीर लॉंग टर्म रिश्ता बना रहें हैं...
इसमें जीत किसकी होती है ये तो वक्त ही तय करेंगा...

अब रनबीर की तरह कुछ ऐसी ही मुश्किल में फंसे थे उनके पापा रिशी कपुर भी...
रिशी कपुर फंसे थे नीतु सिंग और डिंपल कपाडिया के बीच...
ये उस वक्त की बात है जब रिशी कपुर की डेब्यु फिल्म बॉबी बन रहीं थी ...
बॉबी के मेकिंग के दौरान ही रिशी कपुर अपनी फर्स्ट को स्टार डिंपल कपाडिया के प्यार में दिवाने हो गये थे.

उस वक्त डिंपल औऱ रिशी कपुर के अफेअर को टीन एज क्रश करार दिया गया था...गॉसिप की गलियारों में खुब छाया था रिशी और डिंपल का अफेअर...हैरत की बात तो ये है कि बॉबी की शुटिंग के दौरान ही नीतु सिंग की रिशी कपुर के साथ पहचान हुई थी और पहली ही नजर में नीतु सिंग रिशी कपुर की अच्छी दोस्त बन गई थी...
रिशी कपुर नीतु को दोस्त मानते थे और डिंपल का उनका पहला प्यार थी...लेकिन वक्त को शायद ये मंजुर नही था..अपने पिता राज कपुर के कहने पर रिशी कपुर ने डिंपल को प्रपोज नही किया और डिंपल की शादी उस वक्त के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ हो गई...और फिर अपनी सबसे अच्छी दोस्त नीतु रिशी कपुर की हमसफर बन गई...

यही हाल हुआ था रनबीर के दादा और रिशी कपुर के पिता राज कपुर का भी....
राज कपुर नरगिस की प्रेमकहानी तो जग जाहिर थी....इंडियन सिनेमा की सबसे पंसदीदा जोडी थी राज कपुर नरगिस की... राज कपुर तो अरसो तक अपने प्यार और अपनी पत्नी के बीच फंसे रहें, वो खुलेआम कहते थे कि कृष्णा उनके बच्चों की मां है तो नरगिस उनके सिनेमा की मां हैं....

नरगिस तो राज साहब से शादी रचाने के सपने भी देखा करती थी लेकिन ऐसा हो नही पाया....क्योकि शादीशुदा होने के नाते चाहकर भी राज साहब अपने प्यार के साथ इंसाफ नह कर पाए...
और जीत कृष्णा कपुर की हो गई....हालांकि जब नरगिस ने सुनिल दत्त से शादी करने का फैसला लिया तब राज साहब पुरी तरह टुट कर बिखर गयें...
यानी देखा गया है कि वक्त बदलता गया, पिढी बदलती गई, लोग बदलते गये लेकिन नही बदला तो वो है कपुर खानदान का लव ट्रांईगल का रिवाज नही बदला...

पहले राज फिर रिशी और अब रनबीर इसी लव ट्रांईगल का हिस्सा बनें हैं...

Thursday, October 24, 2013

कहानी मन्ना डे के हार की !!!

आज आपको बताते हैं इंडियन सिनेमा के सुरों के बादशाह मन्ना डे हार का एक किस्सा.
कैसे मन्ना डे हारे थे वो भी अपने ज्युनिअर से और कैसे उन्होंने हार को बरदाश्त किया था.
असल जिंदगी में गायकी में भले ही मन्नादा को कोई हरा नही सकता था लेकिन फिल्मी परदे पर उन्हें हारना पडा था.
क्लासिकल संगीत हो या फिल्मी धुनें हर तरह के गीतों को अपनी आवाज़ और सुरों से मन्ना दा अमर करतें थे.
लेकिन आज मैं आपके साथ शेअर करतीं हुं मन्ना डे के हार का एक अनुठा किस्सा जो हार उन्हें दी थी कि  उनसे ज्युनिअर गायक किशोर कुमार नें.
दरअसल ये पुरा वाकिया जुडा हैं फिल्म पडोसन से और पडोसन के निर्माता महमुद से.

फिल्म पडोसन के एक गाने  एक चतुर नार कर के सिंगार के लिए मन्ना दा महमुद को प्लेबैक दे रहेंथे.
गाना बेहद बढ़िया था. मन्नादा की आवाज कमाल की पंचम दा का संगीत गजब का और उस पर महमुद की धमाल की अदाकारी थी.लेकिन ये एक जुगल बंदी थी जिसमें महमुद  औऱ सुनिल दत्त की सुरों टक्कर थी और अंत में सुनिल दत्त के हाथों महमुद को मात खानी थी.
अब मन्ना दा सिचुएशन को तो समझ गए लेकिन इस बात पर अड गए कि वो इसमें हारेंगें नहीं.
क्योंकि उन्हें किशोर कुमार के हाथों हार जाना गंवारा नहीं था.
मन्ना दा को अपनी गायकी पर पुरा भरोसा था लिहाजा उन्हें किशोर कुमार जैसे नये सिंगर के हाथो शिकस्त खाना बिलकुल पसंद नहीं था.

उनका कहना था कि किशोर तो क्लासिकल संगीत भी नही सीखा है ऐसे में उनके साथ बराबरी भी नही की सकती तो ऐसे में भला उनसे मात खाने का तो सवाल ही नही उठता.
खैर फिर किशोर दा और महमुद के लाख मिन्नतों के बाद मन्नादा ने अपना उसुल तोडा जिद छोडी और इस गाने के लिए तैयार हो गयें.
हालांकि वो इस गाने को लेकर दिल से बेहद दु:खी थे लेकिन हैरत की बात ये है कि ये गाना इतना पॉप्युलर हो गया कि इस गाने ने शोहरत के नये झंडे गाड दिये.
और हार कर भी मन्ना डे की जीत हूई...

मन्ना डे के पांच बेहतरीन नगमें !!!

आज की सुबह हुई एक बेहद मनहुस खब़र से.
मन्ना डे नहीं रहें .
वैसे इस बात  के लिए मन की तैयारी पहलें से ही हो चुकी थी क्योंकि पिछले कई दिनों से मन्ना दा जिंदगी और मौत के बीच जंग जो लड रहें थें.
और आज आखिर कार जिंदगी हार गई.

जिंदगी ये लब्ज़ सुनकर ही हमारे और आपके जहन में एक ही गाना आता है "जिंदगी कैसी है पहली हाये कभी ये हंसाए कभी ये रुलाए" और याद आती है मन्ना डे की मखमली आवाज.
दिल का हाल सुने दिल वाला, फुल गेंदवा ना मारों, ऐ मेरें प्यारे वतन, कसमे वादे प्यार वफा बातें हैं बातों का क्या, ये और इस जैसे सैंकडो यादगार नगमें हमें मन्ना डे ने दियें हैं.
लेकिन आज मै ं आप को सुनाती हुं मन्ना डे के पांच ऐसे बेहतरीन नगमें जो बेहद कम दफे सुनाए जातें हैं.
ये यकीनन मेरे सबसे पसंदीदा गाने तो है लेकिन उम्मीद करती हुं कि मेरी पसंद आपको भी पसंद आएगी.
1. तुम बिन जीवन कैसा जीवन...
http://www.youtube.com/watch?v=O_jZ0xeVr04
फिल्म बावर्ची, बेहतरीन गाना और बेहतरीन आवाज़.इस गाने में मन्ना डे ने एक जगह कहा है "अपने आंसु अपना ही दामन" ये लाईन जरा गौर से सुनिए इतनी खुबसुरती और इतने जज्बातों से ये लाईन मन्ना डे ने गायी है कि आप जितने भी बार सुनते हो आपके आंखों में आंसु आ जातें हैं.

2.हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया हैं...
 फिल्म अविष्कार.मन्नादा का एक और जेम, इतनी गहरी शायरी और इतनी संजीदा आवाज लेकिन जज्बातों से भरी.कानु घोष का संगीत जो आपके दिल को सुकुन देता हैं और मन्नादा के बारें में क्या कहें एक एक लब्ज शहद की तरह आपके कानों से होकर दिल में घुल जाता है. 

3.फिर कहीं कोई फुल खिला ...
http://www.youtube.com/watch?v=RcWK3RYi3jU
फिल्म अनुभव. संगीतकार कानु घोष. मन्ना डे के इस गाने को सुनना वाकई रुहानी अनुभव ही हैं.

4.चुनरी संभाल गोरी उडी चली जाए रे...
http://www.youtube.com/watch?v=zur6JskNiRU
अब तक आपने मेरी पसंद के सारे स्लो सॉग्ज सुनें लेकिन अब सुनिए  मन्ना डे का ये फास्ट रिदमिक सॉंग जो मेरा पर्सनल फेवरेट हैं. राहुल देव बरमन का कमाल का कंपोजिशन और मन्ना दा की उडती आवाज़. एक पल के लिए आप सोचने लग जाओगे कि क्या ये वहीं आवाज है जो आप को अपने गीतों से रुलाती है और अब आपको नाचने के लिए मजुबर कर रहीं हैं.क्या गाना क्या ऑरकेस्ट्रा और क्या मन्ना दा.

5. ये इश्क इश्क है इश्क इश्क...
http://www.youtube.com/watch?v=wP-k7QlB1jQ&list=PLB33AB6F87A16982A
इस कव्वाली के बिना तो इंडियन फिल्म संगीत का इतिहास ही नहीं पुरा सकता. सुरों के बादशाह मोहोम्मद रफी के आवाज को टक्कर देती मन्नाडे की आवाज इस कव्वाली में गुंजती हैं. एक भारी भरकम आवाज के साथ मन्ना दा ने इस कव्वाली को सदाबहार कव्वाली बना दिया जो हर महफिल की शान बनी.

कौन कहता है कि मन्ना डे हमें छोडकर चलें गयें हैं वो तो आज भी अपने साथ हैं और आगें भी रहेंगें.
आपके कैसे लगे मेरे पसंदीदा मन्ना डे के नग़में , जरुर बताइएगा...

Wednesday, October 23, 2013

कहानी फिल्म प्यासा के एक गाने की !!!

"हम आपके आंखो में इस दिल को बंसा दे तो, हम मुंद को पलकों को इस दिल को सजा दे तो "
फिल्म प्यासा का ये सुरीला गाना हमने और आपने कई बार सुना होगा.
जितनी भी बार ये गाना सुनो या देखो उतनी ही बार ये गाना दिल को छु जाता है.
गाने को सुनकर हर बार जुबान से एक ही लब्ज निकलता है "वाह".

लेकिन क्या आप जानतें हैं कि गुरुदत्त की क्लासिक फिल्म प्यासा का हिस्सा ये गाना कैसे बना.
दरअसल प्यासा कहानी थी एक बदकिस्मत शायर विजय की.
जो प्यार के साथ साथ जिंदगी से भी हार जाता है.
अब गुरुदत्त इस फिल्म को बेहद संजीदगी से बनाना चाहतें थे लिहाजा फिल्म में गानों के बजाय वो सिरफ साहिर लुधियानवी की गहरी शायरी डालना चाहतें थे.
हुआ भी कुछ ऐसे ही गुरुदत्त ने फिल्म  इंटेस गीत तो डाल दिये लेकिन फिल्म इतनी सिरीअस बन गई कि इसके लिए गुरुदत्त साहब को कोई डिस्ट्रीब्युटर ही नही मिला.
डिस्ट्रीब्युटर्स के मुताबिक फिल्म काफी इंटेस बन गई है लिहाजा हेवी इमोशन्स से पब्लिक को कुछ पलों की राहत मिलें इसलिए फिल्म में एकाद रोमांटिक गाना होना चाहिए
लिहाजा डिस्ट्रीब्युटर को खुश करने के लिए फिल्म में एक ड्रीम सीक्वेन्स के तहत गुरुदत्त ने इश खुबसुरत रोमांटिक नंबर को फिल्म में एड किया. 

देव आनंद भी थे मुगल ए आजम में !!!

शहजादे सलीम दिलीप कुमार, अनारकली मधुबाला और अजीमो शान शंहशाह अकबर पृथ्वीराज कपुर के साथ साथ सदाबहार अभिनेता देव आनंद भी नजर आए थे फिल्म मुगले ए आजम में.
यकीन नही होता तो सुनिए ये किस्सा.
मुगले ए आजम का प्रिमीअर बेहद बडे पैमाने पर हुआ था.
इस फिल्म में उस जमाने के सभी फिल्म स्टार्स शरीक हुए थें.
और इन्ही में से एक थे देव आनंद भी लेकिन बतौर स्टार नही बल्कि एक टिकट ब्लैक करने वाले के तौर पर.
दरअसल मुगल ए आजम अपने जमाने की एक बेहद बडी फिल्म थी.
सभी की नजरें इस फिल्म पर टिकीं हुई थीं और इसी बीच देव आनंद अपने नवकेतन बैनर के तले बना रहें थे काला बाजार.
अब इस फिल्म में वो बनें थे एक फिल्म टिकट ब्लैक करने वाले.

लिहाजा जब देव साहब को मुगले ए आजम के प्रिमिअर के बारें में पता चला तो उन्होंने सोचा क्यों ना इसका इस्तेमाल अपनी फिल्म के लिए किया जाए.
फिर क्या था मुगल ए आजम के डिरेक्टर के आसिफ से इजाजत लेकर देव आनंद ने फिल्म के प्रिमीअर के रियल लोकेशन पर अपनी फिल्म की शुटिंग की और फिल्म के टिकट भी ब्लैक किया.
तो अगली बार जब भी आप काला बाजार फिल्म देखोगे तो जरुर देखिए मुगल ए आजम का प्रिमीअर जिसमें नजर आ रहें है हमारे अपने देव साहबं.

Tuesday, October 22, 2013

मधुबाला की जिंदगी का एक कडवा सच !!!

जिनकी एक मुस्कान से महफिल में चार चांद लग जाते थे.
जिनकी मौजुदगी से महफिल रोशन जाती थी.
ऐसी मदमस्त हसीना मधुबाला को महफिलों में जाना ही मना था.
जी हां आज आपको बतातें है मधुबाला की जिंदगी का एक कडवा सच.
इंडियन सिनेमा की सबसे खुबसुरत हिरोइन मधुबाला ने कई बेहतरीन फिल्मों में अपने हुस्न के जलवे बिखेरे लेकिन अफसोस उन्होने अपनी फिल्मों की एक भी पार्टी या प्रिमीअर अटैंड नही किएं.

क्योंकि मधुबाला को फिल्मी पार्टीयो पर जाने की इजाज़त नही थी.
दरअसल मधुबाला के पिता अताउल्ला खान बेहद पुराने खयालात के थे.
उन्होंने अपनी बेटी को फिल्मों में काम करने की इजाज़त तो दे रखीं थी लेकिन किसी फिल्मी पार्टी या फिल्म प्रिमीअर में शरीक होने की इजाज़त नहीं दी थी.
लिहाजा मधुबाला चाहकर भी किसी फिल्मी दावत में शामिल नही होती थीं.
ये कहना गलत नही होगा कि सेट के अलावा मधुबाला कहीं और लोगों से घुलती मिलती नहीं थीं.
शायद तनहाई उनकी जिंदगी का एक कडवा सच बन कर रह गई थीं.

अमिताभ को ठुकरा चुकी है रेखा

सुनने में भले ही ये थोडा चौकाने वाला लगें लेकिन ये सच है कि आज जिस अमिताभ बच्चन के पीछे दिवानी हो चुकी रेखा किसी जमाने में मि. बच्चन को ठुकरा चुकी हैं.
जी हां ये उस वक्त की बात है जब अमिताभ बच्चन एक न्युकमर थे और रेखा एक बडी स्टार थीं.
इसी दौर में रेखा ने साईन की एक फिल्म हसीनों का मेला.
इस फिल्म में रेखा के ओपोजिट साईन किया था एक दुबले पतले स्ट्रगलर अमिताभ बच्चन को.
अब रेखा को जब पता चला कि एक न्युकमर के साथ उन्हें स्क्रीन शेअर करनी हैं तो उन्होनें इस फिल्म से ही इंकार कर दिया.

रेखा के मुताबिक ये न्युकमर हद से ज्यादा दुबला है इसलिए उन दोनों की जोडी स्क्रीन पर बिलकुल भी अच्छी नही लगेगी.
लिहाजा रेखा ने अमिताभ को पुरी तरह से इंकार कर दिया और रेखा के कहने पर फिल्म से अमिताभ को निकाला गया.
हालांकि वक्त का तकाजा देख लिजीए जिस अमिताभ बच्चन को रेखा किसी जमाने में इंकार कर चुकी है वो रेखा आज तक अमिताभ के इकरार का इंतजार कर रहीं हैं.
शायद इसी को कहतें हैं वक्त ने किया क्या हंसी सितम!!!

राज कपुर थे असली आनंद !!!

बाबुमोशाय ये लब्ज़ सुनकर हमारे जहन में आता है आनंद.
जिंदा दिल, जिंदगी से प्यार करने वाला, सबको हंसाने वाला , खुश रहने वाला और खुशीयां फैलाने वाला.
राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन की आनंद हममे से शायद किसी ने देखी नही होगी.
रिशिकेश मुखर्जी की इस क्लासिक फिल्म का इंडियन सिनेमा में एक खास दर्जा हैं
लेकिन क्या आप जानतें है कि रिशीदा ने इस फिल्म का निर्माण आखिर किस के लिए किया था.
वो थे राज कपुर.
अब आप सोचेंगे कि राज कपुर और आनंद का क्या रिश्ता था.
दरअसल राज कपुर रिशीदा के सबसे करीबी दोस्त थें.
रिशीदा ने राज साहब के साथ कई बेहतरीन फिल्में बनायी.
और आनंद भी वो राज साहब को लेकर ही बनाना चाहतें थे.

यानी कि रिशी दा के खयालों का आनंद राजेश खन्ना नही थे बल्कि थे उनके सबसे करीबी मित्र राज कपुर.
लेकिन जैसा कि हम जानते हैं फिल्म के अंत में आनंद की मौत हो जाती है ये क्लामेक्स रिशी दा को पसंद नहीं था.
क्योंकि वो अपने दिल के करीबी राज साहब को कभी भी डेथ सीन्स में देखना बरदाश्त नही कर सकतें थे.
उनके मुताबिक वो राज को कभी मौत की नींद में सोते देख सकते थे इसलिए उनकी पहली पसंद होने के बावदुद भी उन्होंने राज साहब को इस फिल्म में नही लिया.
दोस्ती की ऐसी मिसाल पेश की रिशीदा ने सिरफ और सिरफ अपने दोस्त  राज कपुर रे लिए. 

शम्मी कपुर और गीता बाली के प्यार की दास्तां

इंडियन सिनेमा के एल्विस प्रिस्ले यानी की हमारे लीजंड एक्टर शम्मी कपुर का भला कौन दिवाना नही हैं.लेकिन आज हम उनकी बात करेंगें जिनके खुद शम्मी जी दिवाने थे.
ये उस वक्त की बात है जब शम्मी कपुर फिल्म इंडस्ट्री में एक स्ट्रगलर थे जबकि गीता बाली ये नाम बेहद बडा था.एक फिल्म में गीता बाली को शम्मी कपुर जैसे न्युकमर के साथ स्क्रीन शेअर करनी पडी और यहीं से शुरु हुई शम्मी जी के दिवाने पन की दास्तां.
गीता बाली की खुबसुरती ने शम्मी जो को इतना दिवाना बना दिया कि फिल्म के खत्म होते होते उन्हें गीता बाली से बेइंतहा प्यार हो गया.
हद तो तब हुई जब एक दिन हिम्मत कर के शम्मी जी ने गीता बाली से ये पुछ लिया कि वो उनसे प्यार करतें हैं और शादी भी करना चाहतें हैं.

गीता बाली उस वक्त की स्टार थी,दिल ही दिल में शम्मी जी को पसंद भी करती थी लेकिन वो बेहद नटखट थी अब उन्होने शम्मी जी के सामने रखी एक शरत.
गीता बाली ने कहा कि वो उनसे शादी के लिए तैयार है बशर्ते ये शादी आज के आज ही हो.
इन दोनो के बीच जब ये बात हो रही थी तब वक्त हो चला था रात के करीब 11 बजे का.
अब दिलेर शम्मी जी ने गीता बाली के इस चैलेंज को मान लिया और वो फौरन उन्हें लेकर पहुंच गये मुंबई के बाबुलनाथ मंदिर शादी करने के लिए लेकिन अफसोस तब तक मंदिर बंद हो चुका था.
खैर शम्मी जी कहां पीछे हटने वालें थे उन्होनें मंदिर के पुजारी को जगाया और शादी कराने की बात की.
पुजारी ने उनसे कहां की ये वक्त शादी के लिए अच्छा नही है बेहतर है आप सवेरे आईए शादी हो जाएगी.
अब शम्मी जी ने सोचा कि अगर बिना शादी के वो गीता बाली को घर छोड दे तो शायद वो अपना इरादा बदल देंगी लिहाजा शम्मी कपुर ने पुरू रात अपनी कार में गीता बाली के साथ बातें करते हुए बीतायी.
और सवेरे चार बजे जब मंदिर खुला तो गीता बाली को लेकर मंदिर गये और वहीं पर उनसे शादी रचा ली.
तो किस्सा सुनाकर कहना ही होगा ना कि शम्मी जी वाकई दिवाना आपसा नही इस अंबर के नीचे... 

Saturday, October 19, 2013

दिलीप कुमार नरगिस और मधुबाला को लेकर बनने वाली थी प्यासा !!!

आज बात करतें हैं  महान फिल्मकार गुरुदत्त की महान कलाकृती प्यासा की.
युं तो प्यासा के बारें में बहुत कुछ कहा और बहुत कुछ लिखा गया है.
जाहिर है प्यासा इंडियन सिनेमा की क्लासिक कल्ट फिल्म जो है.
एक बेहतरीन फिल्म के तौर पर प्यासा को देखा जाता है.
इंटरनैशनल लेवल पर भी गुरुदत्त के प्यासा ने बेहद नाम कमाया है और उतना ही पसंद किया गया माला सिन्हा, वहिदा रहमान और गुरुदत्त के किरदारों को.

हालांकि बेहद कम लोग जानते है कि फिल्म के मेकर गुरुदत्त इस स्टारकास्ट के साथ प्यासा नही बनाना चाहतें थे.
दरअसल गुरुदत्त विजय के किरदार के लिए ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार को लेना चाहतें थें जबिक फिल्म की हिरोइन्स के तौर पर उनकी पसंद थी मधुबाला और नरगिस.
खैर दिलीप कुमार ने तो ये रोल करने से इंकार कर दिया लेकिन उस जमाने की बडी अदाकारा मधुबाला और नरगिस दोनों ही प्यासा के लिए तैयार हो गई.

लेकिन नरगिस और मधुबाला की आपसे में इस बात में ठन गई फिल्म में ये दोनों कौनसा किरदार निभाएगी.
यानी कौन मीना बनेगी और कौन गुलाबों.
हालांकि बेहद समय जाने के बाद भी जब ये तय नही हो पा रहा था.
तब थक हार के गुरुदत्त ने माला सिन्हा और उनकी डिस्कवरी वहिदा रहमान को साईन कर लिया.
 और इस तरह से दिलीप कुमार नरगिस और मधुबाला प्यासा का हिस्सा नही बन पाएं.

Friday, October 18, 2013

आखिर क्यों फुट फुट कर रोयी थी स्मिता पाटिल !!!

इंडियन सिनेमा की एक सशक्त अभिनेत्री स्मिता पाटील किसी पहचान की मोहताज नही है.
सिनेमा के परदे पर एक स्ट्रॉंग कैरेक्टर पेश करने वाली स्मिता पाटील असल जिंदगी में बेहद भावुक थी.
बेहद कम लोग ये बात जानतें हैं कि स्मिता बेहद सेंसेटिव इंसान थी शायद इसलिए वो परदे पर अपनी भावनाएं इतनी बखुबी पेश कर पाती थी.
स्मिता के जज्बाती होने का एक किस्सा आज हम आपके साथ शेअर करतें हैं.
पैरेलेल सिनेमा की अनडाउटेट क्वीन बनी स्मिता को मेनस्ट्रीम सिनेमा में हमेशा क्रिटिसिज्म मिलती रहीं.
उनके डिग्लैम लुकस् हमेशा उनकी आलाोचना की वजह बनी रही थी.
उस वक्त बतौर एक्ट्रैस तो उन्होने काफी नाम कमा लिया था लेकिन स्टारडम हासिल नही कर पाने के लिए फिल्मी मैगजीन में उनकी बेहद आलोचना होती रहती थी.

एक दिन ऐसा आया जब स्मिता ने ठान लिया कि वो मेनस्ट्रीम सिनेमा में भी अपना लोहा मनवाएगी और उन्होने साईन कि प्रकाश मेहरा की नमक हलाल वो भी सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के ओपिजिट.
पहले तो स्मिता इस फिल्म को लेकर बेहद एक्साईटेट हुई लेकिन जब उन्होने नमक हलाल का पहला शॉट दिया तब वो बेहद इमोशनल हुई.
हद तो तब हुई जब शॉट देकर स्मिता अपने घर लौटी और फुट फुट कर रोने लगी.
जब स्मिता के मां ने उनसे उनके रोने की वजह पुछी तो स्मिता ने जवाब दिया कि आज उन्होने ग्लैमरस लुक में एक ऐसा शॉट दिया जो उनके अंदर के कलाकार को बिलकुल गंवारा नही था लेकिन महज आलोचकों को जवाब देने के लिए उन्होने ये मसाला फिल्म साईन और दिल में नही होते हुए भी इस फिल्म में काम किया.
हालांकि स्मिता की अदाकारी की ये खुबी थी कि जितना पसंद उन्हें आर्ट फिल्मों में किया गया उतना ही पसंद नमक हलाल जैसी कमर्शियल फिल्म के उनके किरदार को भी सराहा गया.
ये था स्मिता पाटील इस नाम का करिश्मा.

शाहरुख के बेटे अब्राम की पहली झलक

पिछले कई महिनों से चले आ रहें सस्पेंस से परदा उठ गया है.
और ईद के खास मौके पर सुपरस्टार शाहरुख खान ने अपने चाहनें वालों को दिया है एक खास तोहफा.
अपने बेटे अब्राम की पहली झलक.
कुछ महिनों पहले शाहरुख खान  अपने सरोगेट बेटे को लेकर काफी सुर्खियां बटोर चुके थे.
हर कोई शाहरुख खान और उनके घर आए नन्हें मेहमान के बारें में जानना चाहता था.
और कई महिनों बाद आज चाहनें वालों की ये ख्वाहिश पुरी हुई है.


ईद के मौके पर  किंग खान के चाहने वालों ने मन्नत पर जब अपने हिरो की झलक देखने के लिए भीड इक्कठा की तभी उन्हें मिला एक छोटा सा सरप्राईज.
किंग खान के साथ साथ मन्नत पर नजर आए उनके नन्हे शहजादे अब्राम खान.

जहां किंग खान अपने चाहनें वालों को ईद की मुबारक बाद दे रहें थे वहीं उनके बेटे अब्राम अपनी नैनी के हाथों दुध नोश फरमा रहें थे.
तो इस बार की ईद शाहरुख खान के चाहनें वालों के लिए लेकर आई दोहरी खुशी.


Thursday, October 17, 2013

बिग बॉस के घर में अब होगा न्युड योगा वो भी नये मेहमान के साथ

बिग बॉस के घर आज होगा एक नया हंगामा
होगा न्युड योगा.
और ये न्युड योगा का ग्यान देगें घर में शामिल होने वाले नये मेहमान विवेक मिश्रा.
जी हां आज बिग बॉस हाउस में होगी वाइल्ड कार्ड एंट्री.
और इसके जरिए योगा टीचर विवेक मिश्रा घर के नये सदस्य बनकर घर में शामिल होगें.

इस नये कंटेस्ंटट को शामिल करने के पिछे बिग बॉस घर में एक नया हंगामा क्रिएट करना चाहतें हैं .
बिग बॉस हाउस में ये दुसरी वाइल्ड कार्ड एंट्री है. इससे पहले बांग्लादेशी मॉडेल आसिफ अजीम को शो में ला चुकें हैं लेकिन वो कुछ खास कमाल नही कर पा रहें हैं.
अब उम्मीद कॉन्ट्रोवर्शियल योग गुरु विवेक मिश्रा से उम्मीदें हैं क्यों कि विवेक न्युड योगा सीखा कर एक बडा विवाद अपने नाम दर्ज करा चुकें हैं.
और तो और विवेक ने श्वेता तिवारी के एक्स हजबैंड राजा चौधरी पर उन पर रेप करने का इल्जाम भी लगा चुकें हैं.
तो ऐसे विवादित गुरु का किजीए इंतजार जो बिग बॉस के घर में एक नया हंगामा मचाने आ रहा है.