Saturday, March 15, 2014

किस्सा रंग बरसे का !!!

होली के दिन जितना जरुरी रंग, पानी और भांग होती है उतना ही जरुरी होता है "रंग बरसे" ये गाना भी.
होली का ऑलटाईम फेवरेट ये गाना होली के दिन हर कोई एक दफे तो जरुर गुनगुनाता है.
जैसे रंगो के बिना होली नही खेली जा सकती वैसे इस गीत के बिना भी होली पुरी नही हो सकती.
तो चलिए होली के मौसम मे आज आपको सुनाते हैं किस्सा "रंग बरसे का"...
वैसे सब जानते हैं कि फिल्म सिलसिला का "रंग बरसे"ये गीत अमिताभ बच्चन के पिता और मशहुर कवि हरिवंश राय बच्चन की रचना है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गीत की धुन किसने बनायी है ? 
तो ये धुन बनायी है खुद हरिवंश राय बच्चन ने ही.

दरअसल यश चोपडा की फिल्म  सिलसिला की कहानी अमिताभ बच्चन के दिल के काफी करीब थी. इसलिए अमिताभ इस फिल्म की मेकिंग में पुुरी तरह से दिलचस्पी ले रहे थे.फिल्म की कास्टिंग से लेकर म्युजिक तक अमिताभ हर चीज पर बारिकी से ध्यान दे रहें थे.
इसी बीच जब यश जी को इस फिल्म में एक होली का गाना डालने की सुझी तो अमिताभ को याद आयी अपने बाबुजी की एक पुरानी रचना रंग बरसे जो वो बचपन से हर होली पर सुनते आ रहे थे.
अब उन्होने अपने पिता से अनुमती लेकर ये कविता तो फिल्म में इस्तेमाल कर ली लेकिन जब इन शब्दों को लय में बांधने की बात आयी तो सिलसिला के म्युजिक डिरेक्टर शिव हरी को लगा कि जिस लहजे में ये रचना लिखी गयी है उसी लहजे में इसकी धुन भी बननी चाहिए और ये काम रचना का रचैता ही बखुबी कर सकता है.
फिर क्या अमिताभ बच्चन के पिता ने लोक संगीत के आधार पर ही इस गाने की धुन बनायी.और खुद अमिताभ ने पारंपारिक लहजे में इस गीत को गाकर होली जैसे पर्व को हमेशा के लिए रंगीन बना दिया.


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