Monday, March 10, 2014

किस्सा कभी कभी का !!!

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है,
कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए.....
ये ऑल टाईम क्लासिक सॉंग मेरी तरह आपका भी फेवरेट सॉंग होगा....
जब भी ये गाना सुनते है माहौल एक दम रुहानी हो जाता है.....
मौसम एकदम रोमांटिक हो जाता है...
शायद यही वजह है कि फिल्म मेकर यश चोपडा को साहिर लुधयान्वी की ये नज्म इस कदर पसंद आयी थी कि उन्होंने इस नज्म से इंस्पायर होकर एक फिल्म ही बनाने की सोची.
और इस तरह से जन्म हुआ फिल्म कभी कभी का...

चलिए आज आपको सुनाते है कभी कभी से जुडा दिलचस्प किस्सा.
 कभी कभी के लिए यश चोपडा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से म्युजिक कंपोज करवाना चाहते थें.क्योंकि
लक्ष्मी-प्यारे  यश चोपडा की सुपर हिट फिल्म दाग़ में सुपरहिट म्युजिक दे चुके थे.
लेकिन किन्ही वजहों से ऐसा हो नही पाया और कभी कभी मिल गई खैय्याम को.
अब कभी कभी के लिए म्युजिक कंपोज करते हुए खैय्याम साहबं ने अमिताभ बच्चन के लिए मुकेश से प्लैबैक कराने का सोचा.
दरअसल एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन की इमेज इस फिल्म में पुरी तरह से बदलने वाली थी.
एक्शन हिरो को रोमांटिक हिरो के तौर पर पेश किया जा रहा था लिहाजा अमिताभ को एक रोमांटिक वॉईस देने का सोचा गया और नतीजन रुहानी आवाज़ के मालिक मुकेश से कभी कभी के सभी गाने गंवाने का पक्का हो गया.
धुन बन गई, रिहर्सल हो गई लेकिन बदकिस्मती से रिकार्डिंग से ठीक एक दिन पहले मुकेश जी को दिल का दौरा पड गया और वो अस्पताल में भऱती हो गये.
मुकेश जी कि बीमारी के बाद यश चोपडा औऱ खैय्याम ने फिल्म के सभी गाने अमिताभ बच्चन से गंवाने का एक बेहद बडा क्रांतीकारी कदम उठाने का सोचा.
और वो एक दिन मुकेश साहब से मिलने अस्पताल पहुंच गये.
अब अस्पताल में मुकेश साहब डॉक्टर्स की निगरानी में बेड पर लेटकर आराम फरमा रहें थे,
और जैसे ही यशजी और खैय्याम साहब उनके रुम में आये वो उन्हें देखकर बेहद खुश हो गये.
इससे पहले की यशजी औऱ खैय्याम साहबं मुकेश जी से उनके तबीयत का हालचाल पुछते मुकेश जी ने खुद यश जी और खैय्याम साहबं से गुजारिश करना शुरु कर दिया कि भले ही कभी कभी के बाकी गाने किसी भी गायक से गवाएं लेकिन फिल्म का टाईटल ट्रैक उन्हीसे गवाएं.

मुकेश साहब ने इन दोनों से कहा कि मेरा इंतजार किजीए.
मुकेश जी की ये बात सुनकर दोनो के दोनो एकदम सन्न रह गये.
अपनी बीमारी से ज्यादा मुकेश जी को फिकर थी इस गाने की.
ये गाना इतना पसंद था मुकेश जी को कि अस्पताल में भी उन्हें कभी कभी का खयाल था.
खैर एक फनकार की इस ख्वाहिश को खैय्याम और यश चोपडा ने भी नजर अंदाज नही किया और मुकेश जी के स्वस्थ होने के बाद उन्हीं के आवाज़ में फिल्म के गानों की रिकार्डींग की.
खैर कभी कभी से जुडें हैं कई किस्से लेकिन उनका जिक्र करेंगें फिर कभी....
      

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